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गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

यदि साहित्य-सृजन एक संघर्ष है—अभिव्यक्ति के मार्ग का संघर्ष, तो समीक्षा एक प्रेम-दर्शन है। ऐसा प्रेम-दर्शन जो आवश्यक पड़ने पर अतिशय कठोर होता है, किंतु सामान्यतः उदार और कोमल रहता है।