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गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

सौंदर्यानुभूति केवल कलाकार की निधि नहीं है। वह वास्तविक जीवन में; वास्तविक भावना और कल्पना का उच्चतर स्तर पर ऐसा एकाएक उत्स्फूर्त और विकसित है, जिसमें मनुष्य की व्यक्ति-सत्ता का विलोपन हो जाता है।