विष्णु नागर के बेला
कितना बहुत है पर...
कितना बहुत है परंतु अतिरिक्त एक भी नहीं एक पेड़ में कितनी सारी पत्तियाँ अतिरिक्त एक पत्ती नहीं एक कोंपल नहीं अतिरिक्त एक नक्षत्र अनगिनत होने के बाद। अतिरिक्त नहीं है गंगा अकेली एक होने के बाद—
1950 | शाजापुर, मध्य प्रदेश
आठवें दशक के प्रमुख कवि-लेखक और संपादक। व्यंग्य में भी उल्लेखनीय योगदान।
आठवें दशक के प्रमुख कवि-लेखक और संपादक। व्यंग्य में भी उल्लेखनीय योगदान।