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विष्णु नागर

1950 | शाजापुर, मध्य प्रदेश

आठवें दशक के प्रमुख कवि-लेखक और संपादक। व्यंग्य में भी उल्लेखनीय योगदान।

आठवें दशक के प्रमुख कवि-लेखक और संपादक। व्यंग्य में भी उल्लेखनीय योगदान।

विष्णु नागर का परिचय

सुपरिचित कवि विष्णु नागर का जन्म 14 जून 1950 को शाजापुर, मध्यप्रदेश में हुआ। आरंभिक शिक्षा-दीक्षा के बाद 1971 से दिल्ली में स्वतंत्र पत्रकारिता शुरू की। ‘नवभारत टाइम्स’, जर्मन रेडियो ‘डोयचे वैले’, ‘हिंदुस्तान’ दैनिक आदि से संबद्धता रही। बाद में ‘कादंबिनी’ के कार्यकारी संपादक रहे और कुछ समय तक दैनिक ‘नई दुनिया’ से भी संबद्धता रही। उन्होंने ‘शुक्रवार’ पत्रिका का भी संपादन किया। कविता की दुनिया में चार दशक से सक्रिय विष्णु नागर व्यंग्य और विडंबना के कवि तो हैं ही जीवन की संवेदना के विविध रंगों के भी कवि हैं। प्रतकार-कवियों की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए उनका समकालीन हस्तक्षेप लगातार बना रहा है। उन्होंने छोटी कविताओं की संवाद क्षमता से हिंदी जगत को परिचित कराया। वे अपनी तरह के अलग कवि हैं। उनकी कविताएँ न केवल सामाजिक-राजनीतिक प्रश्नों से मुठभेड़ करती रही हैं, बल्कि संसार को बदलने की आकांक्षा भी प्रकट करती रही हैं।

‘मैं फिर कहता हूँ चिड़िया’, ‘तालाब में डूबी छह लड़कियाँ’, ‘संसार बदल जाएगा’, ‘बच्चे, पिता और माँ’, ‘कुछ चीज़ें कभी खोई नहीं’, ‘हँसने की तरह रोना’ आदि उनके काव्य-संग्रह उन्होंने गद्य विधा में भी रचनात्मक सक्रियता रखी है। ‘आज का दिन’, ‘आदमी की मुश्किल’, ‘कुछ दूर’, ‘ईश्वर की कहानियाँ’, ‘आख्यान’, ‘रात-दिन’ तथा ‘बच्चा और गेंद’ संग्रहों में उनकी कहानियाँ संकलित हैं जबकि ‘आदमी स्वर्ग में’ उनका उपन्यास है। ‘जीवन-जंतु पुराण, ‘घोड़ा और घास’, ‘राष्ट्रीय नाक’, ‘नई जनता आ चुकी है’, ‘देश-सेवा का धंधा, ‘भारत एक बाज़ार है’ संग्रहों में उनके व्यंग्य लेख संकलित हैं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने कविताओं, कहानियों के विशिष्ट संकलनों में संपादन सहयोग किया है।

वह अपनी रचनात्मक उपस्थिति के लिए ‘अखिल भारतीय कथा पुरस्कार’, हिंदी अकादेमी, दिल्ली के ‘साहित्य सम्मान’, कविता के लिए ‘शमशेर सम्मान’, मध्य प्रदेश सरकार के ‘शिखर सम्मान’ तथा व्यंग्य के लिए ‘व्यंग्य श्री’ सम्मान आदि से सराहे गए हैं।

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