आधुनिक काल
सन् 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के बाद आधुनिक चेतनायुक्त मानस निर्मित हुआ, जिसे पुनर्जागरण ने और प्रबल किया। गद्य की मुकम्मल शुरुआत हुई, कविता की विषयवस्तु में आमूलचूल परिवर्तन हुए और कविता अभिव्यक्ति के वर्जित कोनों तक पहुँची। इस काल में ही—जो अब जारी है—प्रयोगों और विमर्शों के बीच साहित्य का संवाद संसार के अग्रगामी विचारों और परिवर्तनों से हुआ।
अकविता
सुपरिचित कवि-गद्यकार। दो कविता-संग्रह प्रकाशित। 'देशज' पत्रिका के संपादक।
अकविता आंदोलन के समय उभरे हिंदी के प्रतिष्ठित कवि। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।
'अकविता' आंदोलन के दौर की हिंदी की प्रमुख और श्रेष्ठ कवयित्री। 'महाभिनिष्क्रमण' (1992) और 'सोच को दृष्टि दो' (1995) शीर्षक दो कविता-संग्रह प्रकाशित।
अकविता दौर के कवि-कथाकार और अनुवादक। जोखिमों से भरा बीहड़ जीवन जीने के लिए उल्लेखनीय।
'अकविता' आंदोलन के संदर्भ में सर्वाधिक चर्चित कवि-आलोचक। अब पर्याप्त अलक्षित।