आधुनिक काल

सन् 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के बाद आधुनिक चेतनायुक्त मानस निर्मित हुआ, जिसे पुनर्जागरण ने और प्रबल किया। गद्य की मुकम्मल शुरुआत हुई, कविता की विषयवस्तु में आमूलचूल परिवर्तन हुए और कविता अभिव्यक्ति के वर्जित कोनों तक पहुँची। इस काल में ही—जो अब जारी है—प्रयोगों और विमर्शों के बीच साहित्य का संवाद संसार के अग्रगामी विचारों और परिवर्तनों से हुआ।

अकविता

1972 आरा

सुपरिचित कवि-गद्यकार। दो कविता-संग्रह प्रकाशित। 'देशज' पत्रिका के संपादक।

1935 -2023 सागर

हिंदी के समादृत कवि-लेखक। बतौर अनुवादक भी चर्चित। ‘सदानीरा’ पत्रिका के संस्थापक-संपादक।

अकविता आंदोलन के समय उभरे हिंदी के प्रतिष्ठित कवि। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

‘अकविता’ आंदोलन के समय उभरे हिंदी के चर्चित कवि। मरणोपरांत साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

नई पीढ़ी के कवि-लेखक और संपादक।

'अकविता' आंदोलन के दौर की हिंदी की प्रमुख और श्रेष्ठ कवयित्री। 'महाभिनिष्क्रमण' (1992) और 'सोच को दृष्टि दो' (1995) शीर्षक दो कविता-संग्रह प्रकाशित।

1929 -1967 महिषी

अकविता दौर के कवि-कथाकार और अनुवादक। जोखिमों से भरा बीहड़ जीवन जीने के लिए उल्लेखनीय।

'अकविता' आंदोलन के संदर्भ में सर्वाधिक चर्चित कवि-आलोचक। अब पर्याप्त अलक्षित।

‘अकविता’ आंदोलन के समय उभरे हिंदी के चर्चित कवि।

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