हिन्दवी ब्लॉग

साहित्य और कला की विभिन्न विधाओं का संसार

‘एक विशाल शरणार्थी शिविर में’

किताबों से अधिक ज़रूरत है दवाओं की। दवाओं से अधिक ज़रूरत है परिचित दिशाओं की। दिशाओं से अधिक ज़रूरत है एक कमरे की। किराए का पानी, किराए की बिजली और किराए की साँस लेने के बाद; ख़ुद को किराए पर देने क ...और पढ़िए

अतुल तिवारी | 20 अगस्त 2023

नकार को दिसंबर की काव्यात्मक आवाज़

कोई आहट आती है आस-पास, दिसंबर महीने में। नहीं, आहट नहीं, आवाज़ आती है। आवाज़ भी ऐसी जैसे स्वप्न में समय आता है। आवाज़ ऐसी, मानो अपने जैसा कोई जीवन हो, समस्त ब्रमांड के किसी अनजाने-अदेखे ग्रह पर। किसी ...और पढ़िए

प्रांजल धर | 20 अगस्त 2023

गद्य की स्वरलिपि का संधान

हिंदी के काव्य-पाठ को लेकर आम राय शायद यह है कि वह काफ़ी लद्धड़ होता है जो वह है; वह निष्प्रभ होता है, जो वह है, और वह किसी काव्य-परंपरा की आख़िरी साँस गोया दम-ए-रुख़सत की निरुपायता होता है। आख़िरी ब ...और पढ़िए

देवी प्रसाद मिश्र | 18 अगस्त 2023

चलो भाग चलते हैं

तो क्या हुआ अगर मैंने ये सोचा था कि तुम चाक पर जब कोई कविता गढ़ोगी, मैं तुम्हारे नाख़ूनों से मिट्टी निकालूँगा। तो क्या हुआ अगर सघन मुलाक़ातों की उम्मीद में हमने कई मुलाक़ातों को मुल्तवी किया। उन योजन ...और पढ़िए

अतुल तिवारी | 17 अगस्त 2023

क्या होम्स ब्योमकेश का पुरखा था...!

सारे दिन हवाएँ साँय-साँय करती रही। बारिश खिड़कियों से टकराती रही थी, जिससे इस विशाल लंदन में भी जो इंसानों ने बनाया है, हम अपनी दिनचर्या भूलकर प्रकृति की लीला के विषय में सोचने पर मजबूर हो गए थे। जो म ...और पढ़िए

उपासना | 08 अगस्त 2023

जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

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