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हिन्दवी ब्लॉग

साहित्य और कला की विभिन्न विधाओं का संसार

कुँवर नारायण की कविता और नाटकीयता

नाटक केवल शब्दों नहीं, अभिनेता की भंगिमाओं, कार्यव्यापार और दृश्यबंध की सरंचना के सहारे हमारे मानस में बिंबों को उत्तेजित कर हमारी कल्पना की सीमा को विस्तृत कर देते हैं और रस का आस्वाद कराते हैं। जिस ...और पढ़िए

अमितेश कुमार | 19 सितम्बर 2023

कुँवर नारायण की कविता और मुक्तिबोध की आलोचना-दृष्टि

मौजूदा समय के संकटों और चिंताओं के बीच जब हमें मुक्तिबोध याद आते हैं, तो न केवल उनकी कविताएँ और कहानियाँ हमें याद आती हैं, बल्कि उनका समीक्षक रूप भी शिद्दत से हमें याद आता है। मुक्तिबोध ने अपने आलोचन ...और पढ़िए

सुशील सुमन | 19 सितम्बर 2023

पूर्णता की तलाश की कविता

स्वप्नान्नं जागरितांत चोभौ येनानुपश्यति।  महान्तं विभुमात्मानं मत्वा धीरो न शोचति।।  — बृहदारण्यक उपनिषद् (धीर पुरुष उस 'महान्' विभु-व्यापी 'परमात्मा' को जानकर जिसके द्वारा व्यक्ति स्वप्न तथा ...और पढ़िए

कुमार मंगलम | 19 सितम्बर 2023

दुस्साहस का काव्यफल

व्यक्ति जगद्ज्ञान के बिना आत्मज्ञान भी नहीं पा सकता। अगर उसका जगद्ज्ञान खंडित और असंगत है तो उसका अंतर्संसार द्विधाग्रस्त और आत्मपहचान खंडित होगा। आधुनिक युग की क्रियाशील ताक़तें मनुष्य के जगद्ज्ञान क ...और पढ़िए

आशीष मिश्र | 15 सितम्बर 2023

बोंगा हाथी की रचना और कालिपद कुम्भकार

यदि कालिपद कुम्भकार को किसी जादू के ज़ोर से आई.आई.टी. कानपुर में पढ़ाने का मौक़ा मिला होता तो बहुत सम्भव है कि आज हमारे देश में कुम्हारों के काम को, एक नई दिशा मिल गई होती। हो सकता है कि घर-घर में फि ...और पढ़िए

हिन्दवी | 14 सितम्बर 2023

मेरे लिए इक तकलीफ़ हूँ मैं

पिछले कुछ महीनों से उसने अपने बाल बढ़ा लिए थे, माथे पर जूड़ा बाँधने लगा था और ख़ुद को ख़ुद ही उष्णीष कहने लगा था। पिछले कुछ समय से वह बीमार हो चला है। उसके चेहरे का हिस्सा ठीक से काम नहीं कर रहा। उसकी एक ...और पढ़िए

हिन्दवी | 12 सितम्बर 2023

ग्रामदेवता

वह चकरोड पकड़े चले आ रहे। थोड़ा भचककर चल रहे थे। रामजी ने उनको दूर से ही देख लिया था। रामजी कुर्सी के पाए पर अपनी कोहनी धँसाकर मुँह बाए उनको आते देखते रहे। वह जल्दी-जल्दी चल रहे थे। उनकी गर्दन थोड़ी झुक ...और पढ़िए

हिन्दवी | 12 सितम्बर 2023

जीवन अपने भाग्य के ख़िलाफ़ आमरण अनशन है

14 सितंबर 2022 कल किसी ने व्हाट्सएप पर एक स्टेटस लगा रखा था। किसी की मृत्यु का। बहुत सुंदर चेहरा था। जवान था। मैंने पूछा - कौन हैं भाई? जवाब आया - शाइर थे! मैंने पूछा - आत्महत्या? जवाब आया - हाँ! ...और पढ़िए

मनमीत सोनी | 11 सितम्बर 2023

अक्टूबर किसी चिड़िया के बिलखने की आवाज़ है

यहाँ तुम नहीं हो। इस जगह सिर्फ़ तुम्हारी संभावनाएँ हैं, बिल्कुल पिघले हुए मोम की तरह, जिसमें न लौ बची है और न पिघलने की उष्णता। बस बची है, तो रात की एक आहट और किसी ओझल क्षण में जलते रहने की याद। क्वार ...और पढ़िए

आदर्श भूषण | 10 सितम्बर 2023

मैं लेखकों की तरह नहीं लिख सकता

But there are passions that it is not for man to choose. They are born with him at the moment of his birth into this world, and he is not granted the power to refuse them.                         ...और पढ़िए

हिन्दवी | 08 सितम्बर 2023