Font by Mehr Nastaliq Web

बेहतर गद्य लिखने के 30 ज़रूरी और जानदार नुस्ख़े

जल्दी-जल्दी में लिखी गईं गोपनीय नोटबुक्स और तीव्र भावनाओं में टाइप किए गए पन्ने, जो ख़ुद की ख़ुशी के लिए हों।

हर चीज़ के लिए समर्पित रहो, हृदय खोलो, ध्यान देकर सुनो।

कोशिश करो कि कभी अपने घर के बाहर शराब के नशे में धुत्त न मिलो।

अपने जीवन के प्रेम में डूबे रहो।

जो कुछ आप महसूस करते हो, वह ख़ुद-ब-ख़ुद अपना अस्तित्व पाएगा।

सरल मन वाले दीवाने संत सरीखे बनो।

उतरो—जितना गहरा उतरना चाहते हो।

मन की अथाह गहराई में उतरकर लिखो, जो मन में आए वह लिखो।

अपनी तीव्र-अकथनीय-विशिष्ट व्यक्तिगत अंतर्दृष्टियों का सामना करो। 

हर ख़याल कविता नहीं है, लेकिन ख़याल तो है।

छाती में काँपती अनियंत्रित-अनैच्छिक तरंगों को पहचानो।   

सामने मौजूद चीज़ पर सम्मोहित होकर उसके सपने में गुम हो जाओ।

साहित्यिक, व्याकरणिक और वाक्य-विन्यास संबंधी प्रतिबंधों को भूल जाओ।

प्रूस्त की तरह समय का एक संयंमी चाय-प्रेमी बनो।

संसार की सच्ची कहानी को भीतर तैयार हुए एकालाप में कहो।

रुचि का चमकता केंद्र वह आँख है, जो आँख के भी भीतर है।

स्मरण-शक्ति के साथ लिखो और ख़ुद के आश्चर्य के लिए लिखो।

भीतर की नज़रों के अर्थपूर्ण सार को शब्दों के सागर में तैरते हुए तैयार करो।

खोने को हमेशा के लिए स्वीकार लो।

जीवन के पवित्र रूप में विश्वास करो।

जो पहले से मन में पूर्ण हो, उस प्रवाह को बह जाने से रोकने के लिए संघर्ष करो। 

जब रुको तो शब्दों के बारे में मत सोचो, बल्कि उस दृश्य को और बेहतर करके देखो।

हर दिन का ब्योरा रखो, अपनी सुबह की तारीख़ को उम्मीद के रंग से भरो।

अपने अनुभव, भाषा और ज्ञान की गरिमा के बारे में कोई भय या शर्म मत रखो।

दुनिया के लिए लिखो, ताकि वह आपके देखे दृश्यों को पढ़कर, हू-ब-हू देख सके।

बुक-मूवी—शब्दों में दिखती फ़िल्म है, दृश्य शैली का अमेरिकी रूप।

चरित्र की प्रशंसा कठोर, अमानवीय अकेलेपन में करो।

भीतर से उभरता हुआ, जंगली, अनुशासनहीन, शुद्ध रूप से लिखा हुआ—ख़याल; जितना अजीब, उतना बेहतर।

आप सब समय जीनियस होते हैं।

सांसारिक फ़िल्मों के लेखक-निर्देशक स्वर्ग के फ़रिश्तों द्वारा प्रेरित और तैयार होते हैं।

~~~

जैक कैरुआक (1922–1969) एक अमेरिकी लेखक हैं। वह अपनी ख़ास लेखन शैली ‘स्ट्रीम ऑफ़ कॉन्शियसनेस’ के लिए जाने जाते हैं। उनके साहित्य में कैथोलिक धर्म, जैज़ संगीत, यात्राओं, रिश्तों, न्यूयॉर्क शहर की ज़िंदगी, बौद्ध धर्म, नशा और ग़रीबी जैसे विषय मिलते हैं। उनके लेखन और व्यक्तित्व ने उन्हें अंडरग्राउंड सर्कल्स में काफ़ी प्रसिद्धि दी और अन्य बीट जनरेशन लेखकों के साथ उन्होंने हिप्पी मूवमेंट को प्रेरित किया। हालाँकि वह हिप्पियों के कुछ राजनीतिक विचारों से सहमत नहीं थे। उनके काम ने रॉक बैंड 'द बीटल्स' और 'द डोर्स' के कई कलाकारों और बॉब डिलन पर गहरा प्रभाव डाला। बेहतर लेखन के लिए उनके बताए नुस्ख़ों को अँग्रेज़ी से हिंदी में अनुवाद करने के लिए यहाँ से चुना गया है : BELIEF & TECHNIQUE FOR MODERN PROSE. 'हिन्दवी' के लिए यह अनुवाद हरि कार्की ने किया है।

'बेला' की नई पोस्ट्स पाने के लिए हमें सब्सक्राइब कीजिए

Incorrect email address

कृपया अधिसूचना से संबंधित जानकारी की जाँच करें

आपके सब्सक्राइब के लिए धन्यवाद

हम आपसे शीघ्र ही जुड़ेंगे

26 मई 2025

प्रेम जब अपराध नहीं, सौंदर्य की तरह देखा जाएगा

26 मई 2025

प्रेम जब अपराध नहीं, सौंदर्य की तरह देखा जाएगा

पिछले बरस एक ख़बर पढ़ी थी। मुंगेर के टेटिया बंबर में, ऊँचेश्वर नाथ महादेव की पूजा करने पहुँचे प्रेमी युगल को गाँव वालों ने पकड़कर मंदिर में ही शादी करा दी। ख़बर सार्वजनिक होते ही स्क्रीनशॉट, कलात्मक-कैप

31 मई 2025

बीएड वाली लड़कियाँ

31 मई 2025

बीएड वाली लड़कियाँ

ट्रेन की खिड़कियों से आ रही चीनी मिल की बदबू हमें रोमांचित कर रही थी। आधुनिक दुनिया की आधुनिक वनस्पतियों की कृत्रिम सुगंध से हम ऊब चुके थे। हमारी प्रतिभा स्पष्ट नहीं थी—ग़लतफ़हमियों और कामचलाऊ समझदारियो

30 मई 2025

मास्टर की अरथी नहीं थी, आशिक़ का जनाज़ा था

30 मई 2025

मास्टर की अरथी नहीं थी, आशिक़ का जनाज़ा था

जीवन मुश्किल चीज़ है—तिस पर हिंदी-लेखक की ज़िंदगी—जिसके माथे पर रचना की राह चलकर शहीद हुए पुरखे लेखक की चिता की राख लगी हुई है। यों, आने वाले लेखक का मस्तक राख से साँवला है। पानी, पसीने या ख़ून से धुलकर

30 मई 2025

एक कमरे का सपना

30 मई 2025

एक कमरे का सपना

एक कमरे का सपना देखते हुए हमें कितना कुछ छोड़ना पड़ता है! मेरी दादी अक्सर उदास मन से ये बातें कहा करती थीं। मैं तब छोटी थी। बच्चों के मन में कमरे की अवधारणा इतनी स्पष्ट नहीं होती। लेकिन फिर भी हर

28 मई 2025

विनोद कुमार शुक्ल का आश्चर्यलोक

28 मई 2025

विनोद कुमार शुक्ल का आश्चर्यलोक

बहुत पहले जब विनोद कुमार शुक्ल (विकुशु) नाम के एक कवि-लेखक का नाम सुना, और पहले-पहल उनकी ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ हाथ लगी, तो उसकी भूमिका का शीर्षक था—विनोद कुमार शुक्ल का आश्चर्यलोक। आश्चर्यलोक—विकुशु के

बेला लेटेस्ट