अप्पय दीक्षित के उद्धरण

संसार में नीति, नियति, वेद, शास्त्र और ब्रह्म सबको जानने वाले मिल सकते हैं, परंतु अपने अज्ञान को जानने वाले मनुष्य विरले ही हैं।
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खाओ, पिओ, जागो, बैठो अथवा खड़े रहे, पर दिन में एक बार भी यह सोच लो कि इस शरीर का नाश निश्चय है।

संसार के भोग के लिए तो मूढ़जन हज़ारों-लाखों ख़र्च कर दिया करते हैं, पर उनसे पाँच छह विल्वपत्रों से मुक्ति नहीं ख़रीदी जाती।
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