नवीन रांगियाल के कवितांश
मैं मरूँगा दो बार
एक बार प्रेम में
दूसरी बार जीवन में मरूँगा।
मुलाक़ातें रहती हैं समय में
मृत्यु से भी ज़्यादा देर तक।
अगर तुम चाहते हो
कि कोई तुम्हें बहुत प्रेम करे
और दुःख भी न दे
तो तुम्हें मरना पड़ेगा।
मैं उन सीढ़ियों से भी प्रेम करता हूँ
जिन पर चलकर उससे मिलने जाया करता था
और उस खिड़की से भी
जिसके बाहर देखती थीं उसकी उदास आँखें
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संबंधित विषय : प्रेम
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आख़िर इतनी भीड़
क्यों लगा रखी है ईश्वर ने दुनिया में
जिस तरफ़ सिर झुकाओ
कृपा करने खड़े हो जाते हैं।
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अपने अकेलेपन को तोड़कर
दो टुकड़े कर लो
तुम्हारे पास आ जाएगा
एक और अकेलापन।
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धूप कितनी क्रूर है
जिस घर में कोई मर गया
उसी के आँगन में खिल आती है
मैं तुम्हें इतना चूमना चाहता हूँ कि
पृथ्वी पर जगह ख़त्म हो जाए।
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प्यार का नयापन खा जाता है
प्यार के पुरानेपन को।
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कवि का दुर्भाग्य यह है कि
उसकी सबसे लहूलुहान कविता पर भी लोग
'वाह' कर उठते हैं!
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प्रतीक्षाओं मुझे माफ़ करो
मेरे पास समय नहीं है
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