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अंतोनियो ग्राम्शी

1891 - 1937

इटली की कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक, मार्क्सवाद के सिद्धांतकार तथा प्रचारक थे। बीसवीं सदी के आरंभिक चार दशकों के दौरान दक्षिणपंथी फ़ासीवादी विचारधारा से जूझने और साम्यवाद की पक्षधरता के लिए विख्यात हैं।

इटली की कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक, मार्क्सवाद के सिद्धांतकार तथा प्रचारक थे। बीसवीं सदी के आरंभिक चार दशकों के दौरान दक्षिणपंथी फ़ासीवादी विचारधारा से जूझने और साम्यवाद की पक्षधरता के लिए विख्यात हैं।

अंतोनियो ग्राम्शी के उद्धरण

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संस्कृति एक अलग चीज़ है। यह एक संगठन है, व्यक्ति के अंतस का अनुशासन, अपने व्यक्तित्व से सामन्जस्य की एक स्थिति; यह एक उच्चतर जागरूकता की स्थिति है, जिसकी सहायता से व्यक्ति

मैं एक ज़िन्दा आदमी हूँ। मैं किसी एक पक्ष में रहता हूँ। इसलिए मुझे उनसे नफ़रत है जो किसी पक्ष में नहीं रहते ; मुझे उनसे नफ़रत है जिन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता

स्वतंत्रता एक आदर्श स्थिति नहीं है, क्योंकि यह एक मूल आकांक्षा है; मानवता का सम्पूर्ण इतिहास संघर्षों और प्रयासों से मिलकर सामाजिक संस्थाओं को निर्धारित करने की कोशिश करने से मिलता है, जो कि अधिकतम स्वतंत्रता सुनिश्चित करने क्षमता रखती है।

शिक्षा प्राकृतिक जीवित्व से जुड़े प्रवृत्तियों के खिलाफ एक संघर्ष है, प्रकृति के खिलाफ एक संघर्ष है, जिससे वह प्रकृति पर हावी हो सके और एक ऐसे मनुष्य का निर्माण कर सके जो अपने ही समय में व्याप्त हो।

इतिहास सिखाता है लेकिन उससे शिक्षा कोई नहीं लेता।

सत्य कहना, क्रांतिकारी होना है।

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आधुनिकता का अर्थ है मोहभंग होते हुए बिना भ्रम का जीवन जीना।

सभी मनुष्य बुद्धिजीवी हैं, लेकिन सभी मनुष्य समाज में बुद्धिजीवियों का कर्म नहीं करते।

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मनुष्य हर विवेक से ऊपर है–एक चेतना, जो प्रकृति का नहीं बल्कि इतिहास का उत्पाद है।

वास्तव में संकट इस तथ्य में है कि पुराना निष्प्राण हो रहा है और नया जन्म नहीं ले सकता।

मैंने कितनी ही बार सोचा है कि क्या व्यक्तियों से सम्बन्ध बनाना संभव है जब किसी के मन में किसी के लिए भी कोई भावना रही हो; अपने माता पिता के लिए भी नहीं। अगर किसी को कभी भी गहराई से प्यार नहीं किया गया तो क्या उसके लिए सामूहिकता में रहना संभव है? क्या इन सब का मेरे जैसे युद्धप्रिय के ऊपर कोई प्रभाव नहीं रहा? क्या इस सब से मैं और बंध्य नहीं हुआ ? क्या इन सब से एक क्रांतिकारी के रूप में मेरी गुणवत्ता कम नहीं हुई ? मैं, जिसने हर चीज को बौद्धिकता और शुद्ध गणित के पैमाने पर रख दिया।

मैं अपने विवेक से निराशावादी हूँ लेकिन अपनी इच्छाशक्ति से आशावादी हूँ।

मेरी व्यवहारिकता इसमें निहित है–इस ज्ञान में कि यदि आप दीवार पर अपना सिर पीटते हैं तो वह आप का सिर है जो कि चोटिल होता है, दीवार नहीं। यही मेरी ताकत है। मेरी एक मात्र ताकत।

समग्रता में भाषा, रूपक की सतत प्रक्रिया है। अर्थमीमांसा का इतिहास संस्कृति के इतिहास का एक पहलू है। भाषा एक ही समय में एक जीवित वस्तु, जीवन और सभ्यताओं के जीवाश्मों का संग्रहालय है।

संघर्ष में हार की कल्पना हमेशा होनी चाहिए। इसलिए अपने हार के उत्तराधिकार की तैयारी उतनी ही मत्वपूर्ण है जितनी अपनी विजय।

विनाश कठिन है। यह निर्माण जितना ही कठिन है।

‘‘लोकप्रिय तत्व महसूस करता है लेकिन वह हमेशा जानता या समझता नहीं। बौद्धिक तत्व, जानता और समझता है लेकिन वह हमेशा महसूस नहीं करता।’’

संस्कृति एक विशेषाधिकार है। शिक्षा एक विशेषाधिकार है। पर हम नहीं चाहते कि ऐसा हो। संस्कृति के सामने सभी युवा एक समान होने चाहिए।

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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