वसंत पर सवैया

वसंत को ऋतुराज कहा गया

है, जब प्रकृति शृंगार करती है। प्रकृति-काव्य का यह प्रमुख निमित्त रहा है। नई कविताओं ने भी वसंत की टेक से अपनी बातें कही हैं। इस चयन में वसंत विषयक कविताओं को शामिल किया गया है।

आयो बसंत दहंत सखी घर

शंभुनाथ मिश्र

नाचत केकी अनंद भरे सुर

लालबिहारी मिश्र 'द्विजराज'

देखि लयो तो कहूँ कतहूँ इन

चंद्रशेखर वाजपेयी

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