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प्रतिज्ञा पर उद्धरण

प्रतिज्ञा किसी कार्य

या कर्तव्य-पालन के लिए व्यक्त दृढ़ निश्चय है। इसे न्याय दर्शन में अनुमान के पाँच अवयवों में से पहला अवयव भी कहा गया है। प्रस्तुत चयन में प्रतिज्ञा को प्रमुख शब्द या आशय की तरह इस्तेमाल करती कविताओं का संकलन किया गया है।

हमारी जन्मभूमि, धर्मभूमि, गौरवभूमि! तेरे लिए हमारे पूर्वजों ने मृत्यु का वरण किया। हे मातृभूमि! हम भविष्य के लिए तुझे अपना मस्तक, हृदय और हाथ अर्पित करते हैं।

जोसेफ रुडयार्ड किपलिंग

वात्सल्य, अभयदान की प्रतिज्ञा, आर्त-दुःख-निवारण, उदारता, पाप के विनाश और असंख्य कल्याण पदों की प्राप्ति कराने के कारण सभी लोकों के लिए लक्ष्मीपति नारायण ही सेव्य हैं। इस विषय में प्रह्लाद, विभीषण, गजेंद्र, द्रौपदी, अहल्या और ध्रुव- ये सभी साक्षी हैं।

आदि शंकराचार्य

अपनी प्रतिज्ञा की रक्षा करनी चाहिए।

वाल्मीकि

प्रतिज्ञा का पालन ही महानता का लक्षण है।

वाल्मीकि