माया पर ब्लॉग

‘ब्रह्म सत्यं, जगत मिथ्या’—भारतीय

दर्शन में संसार को मिथ्या या माया के रूप में देखा गया है। भक्ति में इसी भावना का प्रसार ‘कबीर माया पापणीं, हरि सूँ करे हराम’ के रूप में हुआ है। माया को अविद्या कहा गया है जो ब्रह्म और जीव को एकमेव नहीं होने देती। माया का सामान्य अर्थ धन-दौलत, भ्रम या इंद्रजाल है। इस चयन में माया और भ्रम के विभिन्न पाठ और प्रसंग देती अभिव्यक्तियों का संकलन किया गया है।

याद करने की कोशिश करता हूँ तो याद आता है

याद करने की कोशिश करता हूँ तो याद आता है

दिन : एक 10 नवंबर 2020 भाई के आरटी-पीसीआर टेस्ट के ‘पॉज़िटिव’ आने के बाद घर में हम सभी ने टेस्ट करवाए। कल हम सब बिरला मंदिर गए। वहाँ दिल्ली सरकार का कैंप लगा है। हम पाँच लोगों में से मेरा टेस्ट पॉज़

शचींद्र आर्य

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