होमर और वाल्मीकि को उन्हीं के विशिष्ट संदर्भों के बीच जाँचने पर हम देखते हैं कि दो महान संस्कृतियों का अंतराल इन दोनों महान कवियों को अलग कर देता है।
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होमर में नारी का एक उपभोग का पदार्थ ही अधिक प्रतीत होती है।
वाल्मीकि तथा होमर दोनों की चारित्रिक सृष्टि में संपूर्ण राष्ट्र की आस्था तथा ऊर्जा अभिव्यक्त है।
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होमर तथा वाल्मीकि दोनों की रचनाओं में क्लासिक्स का भव्य गरिमामय रूप दृष्टिगोचर होता है।
वाल्मीकि के काव्य-संसार में सुकुमारता, हृदय की पवित्रता तथा आदर्श की प्रतिष्ठा है। होमर के काव्यसंसार में मनुष्य की दुराधर्षता तथा पराक्रम की।
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पौरुष के उन्माद के चित्रण में होमर अप्रतिम है, इसमें कोई संदेह नहीं।
होमर ग्रीक संस्कृति के सजग प्रहरी हैं।