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वेदव्यास के उद्धरण

काष्ठा, कला, मुहूर्त, दिन, रात, लव, मास, पक्ष, छह ऋतु, संवत्सर और कल्प इन्हें 'काल' कहते हैं तथा पृथ्वी को 'देश' कहा जाता है। इनमें से देश का तो दर्शन होता है किंतु काल दिखाई नहीं देता। अभीष्ट मनोरथ की सिद्धि के लिए जिस देश और काल को उपयोगी मानकर उसका विचार किया जाता है, उसको ठीक-ठीक ग्रहण करना चाहिए।