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वेदव्यास के उद्धरण

कितने ही मनुष्यों के लिए अर्थ ही अनर्थ का कारण बन जाता है, क्योंकि अर्थ-श्रेय में आसक्त मनुष्य वास्तविक श्रेय को प्राप्त नहीं होता।