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गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

ज्यों-ज्यों मनुष्य उम्र में बढ़ता है; जिज्ञासा पर न केवल आग्रहों और दुराग्रहों के पुंज लदते-चलते हैं, वरन् स्वयं जिज्ञासा भी (शतधा) होती चलती है।