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श्यामसुंदर दास के उद्धरण

जिस प्रकार काव्य में सुंदरता का निरूपण करके; उसकी स्पष्ट तथा सर्वमान्य व्याख्या करना असंभव है, उसी प्रकार संसार की समस्त वस्तुओं के संबंध में—सुंदरता का आदर्श निश्चित करना असंभव है।