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गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

जहाँ-जहाँ जीवन के प्रति सच्चाई प्रकट की गई है, वहाँ-वहाँ कला अपने संपूर्ण सौंदर्य के साथ प्रकट हुई है। किंतु जहाँ किसी 'वाद' या बौद्धिक विश्वास से जीवन को देखा गया है, वहाँ जीवन की ताज़गी और उसका प्रवाह-संगीत लुप्त हो गया है।