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गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

हम जिस समाज, संस्कृति, परंपरा, युग और ऐतिहासिक आवर्त में रह रहे हैं—उन सबका प्रभाव हमारे हृदय का संस्कार करता है।