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गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

हम बाह्म जगत से अभ्यंतर जगत् में और आभ्यंतर जगत से, बाह्म जगत में मिलना चाहते हैं—इसीलिए हम कविता लिखते है।