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गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

हृदय-हृदय और अंतःकरण-अंतःकरण में व्याप्त जो कोमल मानव-संबंध हैं, आत्मीयता, न्याय-भावना, परस्पर सहायता, पर-दुःख-कातरता, सहानुभूति, करुणा, चरित्रिक उच्चता के आदर्श आदि हैं, उसी की एक साथ समूहवाचक और भाववाचक संज्ञा मानवता है।