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संत परशुरामदेव

निंबार्क संप्रदाय से संबद्ध। प्रसिद्ध भक्त हरिव्यास देव के शिष्य।

निंबार्क संप्रदाय से संबद्ध। प्रसिद्ध भक्त हरिव्यास देव के शिष्य।

संत परशुरामदेव के दोहे

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परसा तब मन निर्मला, लीजै हरिजल धोय।

हरि सुमिरन बिन आत्मा, निर्मल कभी होय॥

साँचो सीझै भव तरै, हरि पुर आड़े नाहिं।

परसुराम झूठो दहै, बूड़ै भव जल माहिं॥

साधु समागम सत्य करि, करै कलंक बिछोह।

परसुराम पारस परसि, भयो कनक ज्यों लोह॥

सब कौं पालै पोष दै, सब को सिरजनहार।

परसा सो बिसारिये, हरि भज बारंबार॥

सुख दुख जन्महि मरन को, कहै सुनै कोउ बीस।

परसा जीव जानहीं, सब जानै जगदीस॥

दिष्टक दीखै बिनसतो, अबिनासी हरि नाउँ।

सो हरि भजिये हेत करि, परसुराम बलि जाउँ॥

परसुराम जलबिंदु ते, जिन हरि दीनों दान।

सो जाने गति जीव की, हरि गति जीव जान॥

परसा जिन पैदा कियौ, ताकौं सदा सम्हारि।

नित पोषै रच्छा करै, हरि पीतम बिमारि॥

जे हरि! जानै आप कौं, तौ जानी भल लाभ।

परसा हरि जानौ नहीं, तौ अति भई अलाभ॥

परसुराम सतसंग सुख, और सकल दुख जान।

निर्वैरी निरमल सदा, सुमिरन सील पिछान॥

परसुराम साहिब भलौ, सुनै सकल की बात।

दुरै काहू की कभू, लखै लखी नहिं जात॥

साँच झूठ नहिं राचहीं, झूठो मिलै साँच।

झूठे झूठ समायगो, साँचो मिलिहै साँच॥

परसराम हरि भजन सुख, भेव कछू अभेव।

सब काहू कौं एक सौ, जेहि भावै सो लेव॥

सर्व सिद्धि की सिद्धि हरि, सब साधन को मूल।

सर्व सिद्धि सिद्धार्थ-हरि, सिद्धि बिना सब स्थूल॥

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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