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संत परशुरामदेव

निंबार्क संप्रदाय से संबद्ध। प्रसिद्ध भक्त हरिव्यास देव के शिष्य।

निंबार्क संप्रदाय से संबद्ध। प्रसिद्ध भक्त हरिव्यास देव के शिष्य।

संत परशुरामदेव की संपूर्ण रचनाएँ

दोहा 14

परसा तब मन निर्मला, लीजै हरिजल धोय।

हरि सुमिरन बिन आत्मा, निर्मल कभी होय॥

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साँचो सीझै भव तरै, हरि पुर आड़े नाहिं।

परसुराम झूठो दहै, बूड़ै भव जल माहिं॥

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साधु समागम सत्य करि, करै कलंक बिछोह।

परसुराम पारस परसि, भयो कनक ज्यों लोह॥

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सुख दुख जन्महि मरन को, कहै सुनै कोउ बीस।

परसा जीव जानहीं, सब जानै जगदीस॥

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सब कौं पालै पोष दै, सब को सिरजनहार।

परसा सो बिसारिये, हरि भज बारंबार॥

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सबद 10

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