कार्तिक राय के बेला
अब बाज़ार स्त्री के क़दमों में है
समकालीन हिंदी स्त्री-कविता की परंपरा में अनीता वर्मा सघन संवेदना और ऐन्द्रियबोध की कवि हैं। भाषा, भाव और बिंब के साथ प्रतीकों की अलग आभा उनकी कविताओं को दुर्लभ अर्थ-छवियों से जोड़ती है। परिवार, समाज,
हमारे समय का आर्तनाद है ‘शान्ति पर्व’ की कविताएँ
आशीष त्रिपाठी का अद्यतन काव्य संग्रह ‘शान्ति पर्व’ विवेकशील मानस की भाव-यात्रा है। भाव के साथ चेतना भी जागृत है। इस यात्रा में सब कुछ है, सब कुछ! फणीश्वरनाथ रेणु के शब्दों में कहें तो—“इसमें फूल भी ह
धरती पर हज़ार चीज़ें थीं काली और ख़ूबसूरत
इक्कीसवीं सदी की हिंदी कविता की नई पीढ़ी का स्वर बहुआयामी और बहुकेंद्रीय सामाजिक सरोकारों से संबद्ध है। नई पीढ़ी के कवियों ने अपने समय, समाज और राजनीति के क्लीशे को अलग भाष्य दिया है। अनुपम सिंह की क