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असंगघोष

1962 | जबलपुर, मध्य प्रदेश

सुपरिचित कवि-लेखक। दलित-संवेदना और सरोकारों के लिए उल्लेखनीय।

सुपरिचित कवि-लेखक। दलित-संवेदना और सरोकारों के लिए उल्लेखनीय।

असंगघोष का परिचय

असंगघोष का जन्म 29 अक्तूबर 1962 को मध्य प्रदेश के एक छोटे क़स्बे जावद में एक ग़रीब दलित परिवार में हुआ। उनके पिता जूते बनाने का कार्य करते थे। आर्थिक विपन्नता से भरे जीवन में पिता का सहयोग करते हुए उन्होंने भी जूते बनाए, साथ में पढ़ाई भी की। आरंभिक शिक्षा क़स्बे में ही हुई, फिर एक लंबे अंतराल के बाद पी.एच.डी. तक की उच्च शिक्षा प्राप्त की। शिक्षा पूरी कर आरंभ में बैंक की नौकरी की, फिर प्रशासनिक सेवा से संबद्ध हुए। आरंभ में उनका जुड़ाव मार्क्सवादी आंदोलन से रहा था और बाद में आंबेडकरवादी आंदोलन से जुड़े। इसी क्रम में रचनात्मक प्रतिबद्धता के साथ दलित कविता में उनका प्रवेश हुआ। उन्हें हिंदी दलित कविता के प्रमुख कवियों में से एक माना जाता है।

अब तक उनके 8 कविता-संग्रह आ चुके हैं जिनमें ‘ख़ामोश नहीं हूँ मैं’, ‘हम गवाही देंगे’, ‘मैं दूँगा माक़ूल जवाब’, ‘समय को इतिहास लिखने दो’, ‘हम ही हटाएँगे कोहरा’, ‘ईश्वर की मौत’, ‘अब मैं साँस ले रहा हूँ’, ‘बंजर धरती के बीज’ शामिल हैं। इसके अतिरिक्त उनका एक कविता-संचयन भी ‘तुम देखना काल’ शीर्षक से प्रकाशित है। 

वह जबलपुर से प्रकाशित दलित साहित्य की प्रखर पत्रिका ‘तीसरा पक्ष’ के संपादक के रूप में भी योगदान कर रहे हैं। उनकी कविताओं को विभिन्न विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है और उनकी कविताओं पर शोध-कार्य भी हो रहे हैं। 

उन्हें मध्य प्रदेश दलित साहित्य अकादमी के पुरस्कार, सृजनगाथा सम्मान, गुरू घासीदास सम्मान, उर्वशी सम्मान, मंतव्य सम्मान आदि से नवाज़ा गया है।

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