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आदिकाल

हिंदी साहित्य के इतिहास में अनुमानतः 993 ई. से 1293 ई. के बीच का समय आदिकाल माना गया है। इस युग के कई नामकरण हुए, लेकिन अपने समय की व्यापक पृष्ठभूमि का बोध ‘आदिकाल’ शीर्षक से पूर्णतः संप्रेषित होने के कारण हिंदी साहित्य के आरंभिक दौर के लगभग तीन सौ वर्षों का स्वीकृत नाम आदिकाल है।

शृंगार काव्य

1200

अपभ्रंश के महत्त्वपूर्ण कवि। अन्य नाम ‘अद्दहमाण’। समय : 11-12वीं सदी। ‘संदेश रासक’ कीर्ति का आधार-ग्रंथ।

1168 -1192 लाहौर

हिंदी के प्रथम महाकवि। वीरगाथा काल से संबद्ध। ‘पृथ्वीराज रासो’ कीर्ति का आधार-ग्रंथ।

अजमेर के राजा विग्रहराज चतुर्थ के राजकवि। वीरगीत के रूप में सबसे पहली कृति 'बीसलदेव रासो' के रचयिता।

समय : अज्ञात। चंपू-काव्य और नख-शिख वर्णन की शृंगार-काव्य-परंपरा के प्राचीनतम कवि।

1380 -1460 मधुबनी

‘मैथिल कोकिल’ के नाम से लोकप्रिय। राधा-कृष्ण की शृंगार-प्रधान लीलाओं के ग्रंथ ‘पदावली’ के लिए स्मरणीय।

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