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आदिकाल

हिंदी साहित्य के इतिहास में अनुमानतः 993 ई. से 1293 ई. के बीच का समय आदिकाल माना गया है। इस युग के कई नामकरण हुए, लेकिन अपने समय की व्यापक पृष्ठभूमि का बोध ‘आदिकाल’ शीर्षक से पूर्णतः संप्रेषित होने के कारण हिंदी साहित्य के आरंभिक दौर के लगभग तीन सौ वर्षों का स्वीकृत नाम आदिकाल है।

रहस्यवादी कवि

चौरासी सिद्धों में से एक। महामुद्रा और तंत्र के अधिकारी विद्वान। पाखंड और कर्मकांड के विरोधी।

1000 ई. के आस-पास राजस्थान में हुए विशुद्ध रहस्यवादी जैन कवि। भारतीय अध्यात्म में भावात्मक अभिव्यंजना की अभिव्यक्ति के लिए उल्लेखनीय।

वज्रयानी सिद्ध। हिंदी के प्रथम कवि। सरह, सरहपाद, शरहस्तपाद, सरोजवज्र जैसे नामों से भी चर्चित।

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