रचनाकार

कुल: 1495

सरल भाषा में देशभक्ति और राष्ट्रीय भावना को अभिव्यक्त करने वाली भारतेंदु युगीन कवयित्री।

संत यारी के शिष्य और गुलाल साहब और संत जगजीवन के गुरु। सुरत शब्द अभ्यासी सरल चित्त संतकवि।

रीतिकाल के जैनकवि।

बहुमुखी प्रतिभा संपन्न बांग्ला कवि-उपन्यासकार-नाटककार-लेखक। ‘कविता’ पत्रिका के संस्थापक-संपादक। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

सुपरिचित कवि-लेखक और संपादक।

जयपुर नरेश सवाई प्रतापसिंह ने 'ब्रजनिधि' उपनाम से काव्य-संसार में ख्याति प्राप्त की. काव्य में ब्रजभाषा, राजस्थानी और फ़ारसी का प्रयोग।

सुपरिचित कवि।

सुपरिचित ओड़िया कवि-लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता।

तेलुगु भाषा के सुपरिचित दलित कवि। पद्म भूषण से सम्मानित।

सुपरिचित कवि-लेखक। भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार से सम्मानित।

बोधा

1767 - 1806

रीतिमुक्त काव्य-धारा के कवि। प्रेम-मार्ग के निरूपण और ‘प्रेम की पीर’ की व्यंजना में निपुण।

नॉर्वेजियन लेखक। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित।

असमिया के समादृत उपन्यासकार, पत्रकार और संपादक। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित।

समादृत और लोकप्रिय बांग्ला कवि। हस्तक्षेप और प्रतिरोध के स्वर के लिए उल्लेखनीय।

सुपरिचित असमिया कवि-साहित्यकार और शिक्षाविद। असम साहित्य सभा के अध्यक्ष के रूप में योगदान।

समकालीन बांग्ला कविता के आत्मविभोर और मुखर कवि। पेशे से पत्रकार।

रसिक और संगीत प्रेमी भक्त कवि। 'हरिदासी संप्रदाय' से संबद्ध।

रीतिसिद्ध कवि। ‘सतसई’ से चर्चित। कल्पना की मधुरता, अलंकार योजना और सुंदर भाव-व्यंजना के लिए स्मरणीय।

रीतिकालीन अल्पज्ञात कवि। संयोग शृंगार के कामुक प्रसंगों की उद्भावनाओं के लिए स्मरणीय।

रीतिकाल के महत्त्वपूर्ण कवि। 'नवरसतरंग' कीर्ति का आधार ग्रंथ। भावों का सरस प्रवाह और गहरी भावुकता, चित्रांकन की मार्मिकता, और चित्रण की संश्लिष्टता के लिए ख्यातनाम।

रीतिबद्ध कवि। नायिकाभेद के अंतर्गत प्रेमक्रीड़ा की सुंदर कल्पनाओं के लिए प्रसिद्ध।

रीतिबद्ध कवि। उपहास-काव्य के अंतर्गत आने वाले ‘भँड़ौवों’ से विख्यात हुए।

भक्तिकालीन निर्गुण मत की स्त्री संत। 'बावरी संप्रदाय' की संस्थापिका।

सुप्रसिद्ध तेलुगु कवि-गीतकार। चरखा पर लिखे अपने गीत के लिए लोकप्रिय।

नवें दशक के कवि-लेखक। ‘सहसा कुछ नहीं होता’ उल्लेखनीय कविता-संग्रह।

समादृत लेखक और संपादक। हिंदी में संस्मरण विधा के उभार में योगदान। छायावाद के विरोध के लिए चर्चित।

भक्तिकालीन कवि और गद्यकार। हिंदी की पहली आत्मकथा 'अर्द्धकथानक' के लिए स्मरणीय।

मधुरोपासक रामभक्त कवि। काव्य-सौष्ठव, प्रबंध-पटुता और शैलियों की विविधता के लिए ख्यात।

बलवीर

1859 - 1906

भारतेंदु मंडल के कवियों में से एक। भारत जीवन प्रेस के संस्थापक। प्राचीन और लुप्तप्रायः पुस्तकों को पुनः प्रकाशित और संवर्द्धित करने के लिए स्मरणीय।

नई पीढ़ी से संबद्ध कवि-लेखक और अनुवादक। संस्कृत और फ़ारसी साहित्य के अप्रतिम अध्येता। यहाँ प्रस्तुत कविताएँ संस्कृत से स्वयं कवि द्वारा अनूदित।

भारतेंदुयुगीन रचनाकार। 'हिंदुस्तान', 'भारत प्रताप' और 'भारतमित्र' आदि पत्र-पत्रिकाओं के संपादक। 'शिवशंभू का चिट्ठा' व्यंग्य रचना कीर्ति का आधार।

द्विवेदीयुगीन कवि, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी। पद्मभूषण से सम्मानित।

भारतेंदुयुगीन प्रमुख निबंधकार, गद्यकार और पत्रकार। गद्य-कविता के जनक और ‘प्रदीप’ पत्रिका के संपादक के रूप में समादृत।

हिंदी-संस्कृत के विद्वान्, साहित्य-इतिहासकार, निबंधकार और समालोचक। हिंदी में संस्कृत साहित्य पर चिंतन के लिए उल्लेखनीय।

पंजाबी भाषा के सुपरिचित कवि-कथाकार

भक्तिकालीन रीति कवि। प्रौढ़ और परिमार्जित काव्य-भाषा और नायिका भेद के लिए प्रसिद्ध।

मलयालम की समादृत कवयित्री-लेखिका-अनुवादक। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

रीतिकालीन जैन कवि। 'बुद्धि विलास' नामक ग्रंथ के रचनाकार। इनकी काव्य-भाषा राजस्थानी है।

'सखी संप्रदाय' के उपासक। सांप्रदायिक नाम 'प्रेमसखी'। कोमल और ललित पद-विन्यास, संयत अनुप्रास और स्निग्ध सरल भाषिक प्रवाह के लिए स्मरणीय कवि।

विलक्षण, किंतु अलक्षित कवि। ‘हरारत में तीसरी नदी’ प्रमुख कविता-संग्रह।

अलंकार ग्रंथ 'भाषाभरण' के रचयिता। सरस दोहों और सटीक उदाहरणों के लिए प्रसिद्ध।

ओड़िया सबुज गोष्ठी के प्रमुख प्रेम और रहस्यवादी कवि। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

भक्तिकाल के प्रसिद्ध संगीतकार और कवि। राजा मानसिंह तोमर और गुजरात के सुलतान बहादुरशाह के आश्रित।

सुपरिचित कवयित्री और गद्यकार।

सुपरिचित संस्कृत अध्येता और पुरालेखवेत्ता। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारी के रूप में योगदान।

सुपरिचित कवि। एक कविता-संग्रह प्रकाशित।

द्विवेदी युग के सुपरिचित व्यंग्यकार, नाटककार और पत्रकार। बालसखा’ पत्रिका के संस्थापक-संपादक के रूप में योगदान।

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