रचनाकार

कुल: 1495

ग्वाल

1802 - 1867

रीतिबद्ध कवि। सोलह भाषाओं के ज्ञाता। देशाटन से अर्जित ज्ञान और अनुभव इनकी कविता में स्पष्ट देखा जा सकता है। विदग्ध और फक्कड़ कवि।

सिक्खों के नौवें गुरु। निर्भय आचरण, धार्मिक अडिगता और नैतिक उदारता का उच्चतम उदाहरण। मानवीय धर्म एवं वैचारिक स्वतंत्रता के लिए महान शहादत देने वाले क्रांतिकारी संत।

सिक्ख धर्म के चौथे गुरु। अमृतसर के संस्थापक।

सिक्ख धर्म के आदिगुरु। भावुक और कोमल हृदय के गृहस्थ संत कवि। सर्वेश्वरवादी दर्शन के पक्षधर।

स्वातंत्र्योत्तर ओड़िया कविता के प्रमुख कवि। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

सिक्खों के दसवें और अंतिम गुरु। 'खालसा पंथ' के संस्थापक। 'चंडी-चरित्र' के रचनाकार।

सिक्ख धर्म के तीसरे गुरु और आध्यात्मिक संत। जातिगत भेदभाव को समाप्त करने और आपसी सौहार्द स्थापित करने के लिए 'लंगर परंपरा' शुरू कर 'पहले पंगत फिर संगत' पर ज़ोर दिया।

तेलुगु साहित्य के नवयुग के वैतालिक के रूप में समादृत नाटककार और कवि।

रीतिकाल और आधुनिककाल के संधि कवि। कृष्ण-भक्ति के पद पुरानी परिपाटी में लिखे। पदों में रूपक और उपमाओं की सुंदर प्रयोग।

मैथिली की नई पीढ़ी से संबद्ध कवि-कथाकार-पत्रकार।

रीतिकालीन कवि और अनुवादक। कलाकुशल और साहित्यमर्मज्ञ। चमत्कारिता के लिए प्रसिद्ध।

नई पीढ़ी के कवि-लेखक।

अत्यंत लोकप्रिय गीतकार और फ़िल्मकार। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

रीतिकालीन अलक्षित कवि।

शुक्ल युग के सुप्रसिद्ध निबंधकार-समालोचक। साहित्य हेतु दर्शन-संबंधी युक्तियों के प्रयोग के लिए उल्लेखनीय।

संस्कृत, अँग्रेज़ी और गुजराती के कवि-समालोचक-संपादक।

नई पीढ़ी के कवि-लेखक।

आठवें दशक के कवि। प्रगतिशील लेखक संघ से संबद्ध।

शृंगार और नीति विषयक कविताओं के लिए ख्यात।

दुर्लभ कवि-आलोचक। दो कविता-संग्रह—'नीली अथाह उक्ति' और 'तपते पंखों के रंग' तथा आलोचना की दो पुस्तकें—'नई कविता में बिंब का वस्तुगत परिप्रेक्ष्य' और 'अंतराल में' प्रकाशित।

वल्लभ संप्रदाय से संबद्ध। कृष्ण-भक्ति के सरस पदों के लिए ख्यात। साहित्येतिहास ग्रंथों में प्रायः उपेक्षित।

सुपरिचित राजस्थानी कवि-साहित्यकार। कविताओं में नए रचना-शिल्प के लिए उल्लेखनीय।

जनवादी विचारों के चर्चित क्रांतिकारी कवि। भोजपुरी में भी लेखन।

ओड़िया भाषा के समादृत उपन्यासकार-कथाकार। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित।

‘उत्कलमणि’ के रूप में समादृत ओड़िया कवि-लेखक, समाज-सुधारक और राजनीतिक कार्यकर्ता।

द्विवेदीयुगीन प्रमुख उपन्यासकार। जासूसी कथा-लेखन के लिए उल्लेखनीय।

नेपाली भाषा के सुप्रसिद्ध प्रगतिवादी कवि-साहित्यकार।

हिंदी के बेहद लोकप्रिय गीतकार। पद्म भूषण समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित।

पाँचवें दशक में सामने आए युवा ओड़िया कवियों में प्रमुख। संपादक-समालोचक के रूप में उल्लेखनीय योगदान।

कन्नड़ भाषा के सुप्रतिष्ठित कवि। नव्या कविता आंदोलन से संबद्ध। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

सुप्रसिद्ध गीतकार। विद्रोही और प्रगतिशील विचारों के लिए उल्लेखनीय।

सुपरिचित असमिया कवि। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

ओरछा नरेश पृथ्वीसिंह के आश्रित कवि। आचार्यत्व सामान्य, भाषा सरल और उदाहरण सहज हैं।

रीतिग्रंथ रचना और प्रबंध रचना, दोनों में समान रूप से कुशल कवि और अनुवादक। प्रांजल और सुव्यवस्थित भाषा के लिए स्मरणीय।

ओड़िया के सुप्रसिद्ध कवि-कथाकार-संपादक। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

ओड़िया भाषा के सुप्रसिद्ध कवि, समाजवादी कार्यकर्ता और राजनेता। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

सुपरिचित कवि-आलोचक-अनुवादक और संपादक।

समादृत उपन्यासकार, कथाकार और नाटककार। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

सुपरिचित कवि-लेखक और संपादक। भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार से सम्मानित।

अज्ञेय द्वारा संपादित ‘तार सप्तक’ के कवि। ‘छाया मत छूना’ शीर्षक गीत के लिए चर्चित।

वास्तविक नाम गोपालचंद्र। आधुनिक साहित्य के प्रणेता भारतेंदु हरिश्चंद्र के पिता।

जीवन के व्यावहारिक पक्ष के आलोक में नीति, वैराग्य और अध्यात्म के प्रस्तुतकर्ता। नीतिपरक कुंडलियों के लिए प्रसिद्ध।

सातवें दशक के कवि-लेखक। समाजवादी विचारों के लिए उल्लेखनीय।

गुजराती के सुपरिचित कवि, कला-समालोचक और प्रख्यात चित्रकार। पद्म भूषण से सम्मानित।

नई पीढ़ी की कवयित्री।

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