दोहे

अपभ्रंश साहित्य का प्रमुख छंद, जो कालांतर में लोक साहित्य का सबसे प्रिय छंद बना। यह अपने छोटे से कलेवर में कई बातें समेटने की क्षमता रखता है, इसीलिए इसे गागर में सागर भरने वाला छंद बताया गया है।

भक्तिकालीन कवि। 'भाषा हनुमन्नाटक' नामक पद्य नाटक के लिए स्मरणीय।

1088 -1179

प्रसिद्ध जैन कवि-वैयाकरण। अनुमानित समय : 1088 ई. से 1179 ई. तक। ‘कलिकाल सर्वज्ञ’ और ‘अपभ्रंश के पाणिनि’ कहे गए।

सोलहवीं सदी के भक्त कवि। श्रीभट्ट के शिष्य। 'निंबार्क संप्रदाय' से संबद्ध। 'ब्रजभाषा में रचित ग्रंथ 'महावाणी' के लिए स्मरणीय।

1510 -1632

हरिवंश के शिष्य और राधावल्लभ संप्रदाय में दीक्षित। ज्ञान, वैराग्य और भक्ति के साथ ही तत्त्व-निरूपण के लिए स्मरणीय।

भक्ति-काव्य की कृष्णभक्त शाखा के माधुर्योपासक कवि। 'राधावल्लभ संप्रदाय' के प्रवर्तक।

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