noImage

हृदयराम

भक्तिकालीन कवि। 'भाषा हनुमन्नाटक' नामक पद्य नाटक के लिए स्मरणीय।

भक्तिकालीन कवि। 'भाषा हनुमन्नाटक' नामक पद्य नाटक के लिए स्मरणीय।

हृदयराम के दोहे

सुख सागर नागर नवल, कमल बदन द्युतिमैन

करुणा कर वरुणादिपति, शरणागत सुख दैन॥

खंजन लोचन कंज मुख, नित खंडन पर पीर।

अरि गंजन भंजन धनुष, भव रंजन रघुवीर॥

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

Recitation

जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

पास यहाँ से प्राप्त कीजिए