दोहे

अपभ्रंश साहित्य का प्रमुख छंद, जो कालांतर में लोक साहित्य का सबसे प्रिय छंद बना। यह अपने छोटे से कलेवर में कई बातें समेटने की क्षमता रखता है, इसीलिए इसे गागर में सागर भरने वाला छंद बताया गया है।

1415 -1475

भक्तिकालीन निर्गुण संत। स्वामी रामानंद के शिष्य। आजीवन खेती-बाड़ी करते हुए भक्ति-पथ पर गतिशील कृषक-कवि।

1656

भक्तिकाल के संत कवि। आत्महीनता, नाम स्मरण, विनय और आध्यात्मिक विषयों पर कविताई की। 'निज' की पहचान पर विशेष बल दिया।

कृष्ण-भक्त कवि। गोस्वामी हितहरिवंश के शिष्य। सरस माधुर्य और प्रेम के आदर्श निरूपण के लिए स्मरणीय।

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