रसूल हमज़ातोव के उद्धरण
राई को पहाड़ नहीं बनाओ और पहाड़ को राई बनाने की तो और भी कम कोशिश करो।
अनुवाद : मदनलाल मधु
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स्पष्ट विचारों को स्पष्ट और समझ में आने वाली भाषा में व्यक्त करो। अस्पष्ट विचारों को व्यक्त ही न करो।
अनुवाद : मदनलाल मधु
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अगर तुम बहुत अरसे से अपने गाँव नहीं गए और तुम्हें यह मालूम नहीं कि वहाँ क्या हाल-चाल है, तो यह दावा नहीं करो कि तुम अभी-अभी अपने गाँव से लौटे हो।
अनुवाद : मदनलाल मधु
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जिस चीज़ की तारीफ़ करते हो, बाद में उसी को बुरा नहीं कहो। अगर बुरा कहते हो तो बाद में तारीफ़ न करो।
अनुवाद : मदनलाल मधु
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जो कुछ अभी ख़ुद नहीं समझते, उसके बारे में दूसरों को उपदेश देने की कोशिश मत करो।
अनुवाद : मदनलाल मधु
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किताब में जो कुछ है, उसकी चर्चा करो, न कि उसकी जो नहीं है।
अनुवाद : मदनलाल मधु
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अगर तुम्हारी जेब में सौ रूबल नहीं हैं, तो ऐसा ढोंग नहीं करो कि वे तुम्हारे पास हैं।
अनुवाद : मदनलाल मधु
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अपने विचारों की पुष्टि के लिए बेलींस्की से शुरू करके सभी विद्वानों को उद्धृत नहीं करो। अगर वे विचार वास्तव में तुम्हारे ही हैं, तो अपनी ही अक़्ल से उन्हें पुष्ट करने की कोशिश करो।
अनुवाद : मदनलाल मधु
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