नवीन रांगियाल के बेला
बीथोवन के संगीत के लिए
दुनिया को हिटलर के ‘होलोकास्ट’ के लिए नहीं, बीथोवन की ‘सिम्फ़नी’ के लिए याद रखा जाना चाहिए। हिटलर की नफ़रत से और उसके द्वारा की गईं यहूदियों और उनके बच्चों की हत्याओं के बाद भी यह दुनिया ख़त्म नहीं ह
1977 | इंदौर, मध्य प्रदेश
नई पीढ़ी से संबद्ध कवि-लेखक और पत्रकार। दो कविता-संग्रह प्रकाशित-चर्चित।
नई पीढ़ी से संबद्ध कवि-लेखक और पत्रकार। दो कविता-संग्रह प्रकाशित-चर्चित।