मनीष कुमार मौर्य के बेला
आचार्य शुक्ल के इतिहास के बहाने : आदिकाल के अप्रासंगिक होने पर सवाल?
सास्त्र सुचिंतित पुनि पुनि देखिअ। —३६, अरण्यकाण्ड, श्रीरामचरितमानस तुलसी की इस पंक्ति का शीर्षक रूप में प्रयोग करते हुए ‘नागरीप्रचारिणी सभा’ द्वारा आचार्य रामचंद्र शुक्ल के पुनर्संस्कारित इतिहास