ध्रुव हर्ष के बेला
23 अक्तूबर 2025
सिनेमा में प्रेमचंद : साहित्य, बाज़ार और प्रतिरोध
“जिन हाथों में फ़िल्म की क़िस्मत है, वे बदक़िस्मती से इसे इंडस्ट्री समझ बैठे हैं। इंडस्ट्री को ‘मज़ाक़’ और इसलाह से क्या निस्बत? वह तो एक्सप्लायट करना जानती है और यहाँ इंसान के मुक़द्दसतरीन (पवित्रतम
21 सितम्बर 2025
माइथोलॉजी : देवदत्त पटनायक और उनका रचना संसार
पटनायक ग्रीक मिथकों को भारतीय परिप्रेक्ष्य में देखना जानते हैं, और उनकी सबसे बड़ी ख़ूबसूरती यह है कि वह बहुत सरल ढंग से कहते हैं। तब यह बात और दिलचस्प हो जाती है, जब ये सब कहते हुए वह अपना भारतीय होन