कहानी : सुरमेदानी
“माँ मरी नहीं थी। वो मेरी उन तमाम प्रेमिकाओं में ज़िंदा हुई, जिनसे मैंने प्रेम किया।” जानते हो बीकानेर में उस रात की आँखें उतनी ही अंधी और आबनूसी थी, जितने कई मनुष्य सब कुछ होते हुए भी ज़िंदगी से
“माँ मरी नहीं थी। वो मेरी उन तमाम प्रेमिकाओं में ज़िंदा हुई, जिनसे मैंने प्रेम किया।” जानते हो बीकानेर में उस रात की आँखें उतनी ही अंधी और आबनूसी थी, जितने कई मनुष्य सब कुछ होते हुए भी ज़िंदगी से