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घर पर कवितांश

महज़ चहारदीवारी को ही

घर नहीं कहते हैं। दरअस्ल, घर एक ‘इमोशन’ (भाव) है। यहाँ प्रस्तुत है—इस जज़्बे से जुड़ी हिंदी कविताओं का सबसे बड़ा चयन।

इस पृथ्वी पर जो गृहस्थ

धर्मनिष्ठ रहता है

वह स्वर्ग के देवगणों के

सदृश पाता है सम्मान

तिरुवल्लुवर

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