आलोचक पर निबंध
आलोचना एक साहित्यिक
विधा है जो कृतियों में अभिव्यक्त साहित्यिक अनुभूतियों का विवेकपूर्ण विवेचन उपरांत उनका मूल्यांकन करती है। कर्ता को आलोचक कहते हैं और उससे रचनाकार के प्रति, कृति के प्रति और समाज के प्रति उत्तरदायित्वों के निर्वहन की अपेक्षा की जाती है। नई कविता में प्रायः कवियों द्वारा आलोचकों को व्यंग्य और नाराज़गी में घसीटा गया है।
क्या हिंदी नाम की कोई भाषा ही नहीं?
जी हाँ, इस नाम की कोई भाषा नहीं। कम से कम संयुक्त प्रांतों में तो इसका कहीं पता नहीं ! ऑनरेबल असग़र अली ख़ाँ, ख़ान बहादुर, की यही राय है। प्रमाण? इसकी क्या ज़रूरत? ख़ान बहादुर का कहना ही काफ़ी प्रमाण है! प्रारंभिक शिक्षा-कमिटी ने रीडरों की भाषा के
महावीर प्रसाद द्विवेदी
साधारणीकरण और व्यक्ति-वैचित्र्यवाद
किसी काव्य का श्रोता या पाठक जिन विषयों को मन में लाकर रति, करुणा, क्रोध, उत्साह इत्यादि भावों तथा सौंदर्य, रहस्य, गांभीर्य आदि भावनाओं का अनुभव करता है वे अकेले उसी के हृदय से संबंध रखने वाले नहीं होते; मनुष्य-मात्र की भावात्मक सत्ता पर प्रभाव डालने