Font by Mehr Nastaliq Web

गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

वास्तविक जीवनानुभव की जितनी संपन्नता निराला और प्रसाद में है (महादेवी में भी), उतनी उस हद तक; उस मात्रा में पंतजी के पल्ले नहीं पड़ी।