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कृष्ण कुमार के उद्धरण

वह नेक ऊर्जा जो हमारे सहकार से एक सीमित परिधि में फैलती, दूर-दूर बिखरी दुनिया की ख़बरें सुनकर निष्क्रिय और निरुपाय बने रहने की लाचारी में डूब जाती है।