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कृष्ण कुमार के उद्धरण

वाचन में अटक-अटककर पढ़ना सुनने वाले को खटकता है। यदि हम वाचन को पढने से अलग कर दें तो पढने में रफ़्तार और प्रवाह की जगह समझने और सोचते जाने पर ज़्यादा ध्यान दे सकेंगे।