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मैनेजर पांडेय के उद्धरण

सूर की गोपियों का प्रेम, कोई सीमा नहीं जानता। वह कोई बंधन नहीं मानता, न संयोग में और न वियोग में—उसका लक्ष्य है तन्मयता।