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मैनेजर पांडेय के उद्धरण

सूर की काव्यानुभूति में प्रीति का जो रूप है, वह रति की सामान्य जीवनानुभूति और माधुर्य की विशिष्ट अनुभूति की एकता का परिणाम है।