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श्यामसुंदर दास के उद्धरण

प्रकृति के जो चित्र अपनी विशेषताओं अथवा मनुष्य की अभिरुचि के कारण उसके मन में अंकित होते हैं, उन्हें ही वह कलाओं द्वारा व्यंजित करता है। प्रकृति की ओर मनुष्य निसर्गतः आकृष्ट रहता है, क्योंकि उससे उसकी वासनाओं की तृप्ति होती है।