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मैनेजर पांडेय के उद्धरण

प्रेम का मार्ग सहज, सरल और सीधा है, निर्गुण का पथ कंटकाकीर्ण, दुरूह, दुर्गम और चक्करदार है। संपूर्ण भ्रमरगीत में उद्धव और गोपियों के संवाद के माध्यम से, ज्ञान और योग के ऊपर प्रेम के विजय की घोषणा हुई है।