Font by Mehr Nastaliq Web

अज्ञेय के उद्धरण

पश्चिम का कलाकार रूप (फ़ार्म) की खिड़की से देखकर वस्तु को संवेद्य बनाता है, उसका संप्रेषण करता है। भारत का कलाकार प्रतीक की खिड़की से वस्तु को नहीं, वस्तु के पार वस्तु-सत् को संवेद्य बनाता है।