Font by Mehr Nastaliq Web

गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

मैं यह कहना चाहता हूँ कि प्रसादजी जिस अर्थ में अंतर्मुख कवि हैं, उस अर्थ में पंतजी नहीं।